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Showing posts from December, 2017

आचरण की सभ्यता-सरदार पूर्ण सिंह

विद्या, कला, कविता, साहित्‍य, धन और राजस्‍व से भी आचरण की सभ्‍यता अधिक ज्‍योतिष्‍मती है। आचरण की सभ्‍यता को प्राप्‍त करके एक कंगाल आदमी राजाओं के दिलों पर भी अपना प्रभुत्‍व जमा सकता है। इस सभ्‍यता के दर्शन से कला, साहित्य, और संगीत को अद्भुत सिद्धि प्राप्‍त होती है। राग अधिक मृदु हो जाता है; विद्या का तीसरा शिव-नेत्र खुल जाता है, चित्र-कला का मौन राग अलापने लग जाता है; वक्‍ता चुप हो जाता है; लेखक की लेखनी थम जाती है; मूर्ति बनाने वाले के सामने नये कपोल, नये नयन और नयी छवि का दृश्‍य उपस्थित हो जाता है। आचरण की सभ्‍यतामय भाषा सदा मौन रहती है। इस भाषा का निघण्‍टु शुद्ध श्‍वेत पत्रों वाला है। इसमें नाममात्र के लिए भी शब्‍द नहीं। यह सभ्‍याचरण नाद करता हुआ भी मौन है, व्‍याख्‍यान देता हुआ भी व्‍याख्‍यान के पीछे छिपा है, राग गाता हुआ भी राग के सुर के भीतर पड़ा है। मृदु वचनों की मिठास में आचरण की सभ्‍यता मौन रूप से खुली हुई है। नम्रता, दया, प्रेम और उदारता सब के सब सभ्‍याचरण की भाषा के मौन व्‍याख्‍यान हैं। मनुष्‍य के जीवन पर मौन व्‍याख्‍यान का प्रभाव चिरस्‍थायी होता है और उसकी आत्मा का एक अं...

कुटज- हजारी प्रसाद द्विवेदी

कहते हैं , पर्वत शोभा-निकेतन होते हैं। फिर हिमालय का तो कहना ही क्‍या। पूर्व और अपार समुद्र - महोदधि और रत्‍नाकर - दोनों को दोनों भुजाओं से थाहता हुआ हिमालय ' पृथ्‍वी का मानदंड ' कहा जाय तो गलत क्‍यों है ? कालिदास ने ऐसा ही कहा था। इसी के पाद-देश में यह जो श्रृंखला दूर तक लोटी हुई है , लोग इसे ' शिवालिक ' श्रृंखला कहते हैं। ' शिवालिक ' का क्‍या अर्थ है ? ' शिवालक ' या शिव के जटाजूट का निचला हिस्‍सा तो नहीं है ? लगता तो ऐसा ही है। शिव की लटियायी जटा ही इतनी सूखी , नीरस और कठोर हो सकती है। शिव की लटियायी जटा ही इतनी सूखी , नीरस और कठोर हो सकती है। वैसे , अलकनंदा का स्रोत यहाँ से काफी दूरी पर हैं , लेकिन शिव का अलक तो दूर-दूर तक छितराया ही रहता होगा। संपूर्ण हिमालय को देखकर ही किसी के मन में समाधिस्‍य महादेव की मूर्ति स्‍पष्‍ट हुई होगी। उसी समाधिस्‍य महोदव के अलक-जाल के निचले हिस्‍से का प्रतिनिधित्‍व यह गिरि श्रृंखला कर रही होगी। कहीं-कहीं अज्ञात नाम-गोत्र झाड़-झंखाड़ और बेहया-से पेड़ खड़े दिख अवश्‍य जाते हैं , पर और कोई हरियाली नहीं। दूब तक सूख गई है। का...